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September 16, 2020
चलो करें स्वागत आरती सजा लें, बुजुर्गों को मना लें चलो करें स्वागत

चलो करें स्वागत आरती सजा लें, बुजुर्गों को मना लें चलो करें स्वागत

श्रद्धा पर्व विशेष : बच्चे को माता-पिता से आशीर्वाद माँगना नहीं पड़ता, अपने आप हृदय […]
September 12, 2020
An Attitude of Gratitude

An Attitude of Gratitude

An Attitude of Gratitude Are you dreaming or awake? When you woke up today, what […]
September 10, 2020
शरीर रूपी साज में संगीत जगाते हैं सद्गुरु

शरीर रूपी साज में संगीत जगाते हैं सद्गुरु

गुरु की महिमा अपरम्पार है। भारतीय शास्त्रों में परमात्मा की प्राप्ति और गूढ़ तत्व निरूपण […]
September 8, 2020
HIGHLIGHTS OF POSITIVE LIFESTYLE

HIGHLIGHTS OF POSITIVE LIFESTYLE

“To ooze positivity, you must generate positivity first” In order to attract positive vibes, you […]
September 7, 2020
ईश्वर पर विश्वास, परोपकार और श्रेष्ठता ही मानव धर्म

ईश्वर पर विश्वास, परोपकार और श्रेष्ठता ही मानव धर्म

ईश्वर पर विश्वास जीवन की श्रेष्ठतम उपलब्धि है। इस अवस्था में जैसे अबोध बालक माँ […]
September 5, 2020
Teachers – Nation Builders

Teachers – Nation Builders | Happy Teacher’s Day

One of the noblest occupations is that of a teacher. A classroom teacher teaches systematically […]
September 3, 2020
कोरोना संकट में योग-वनौषधि एवं स्वास्थ्य इन दिनों देश सहित सम्पूर्ण विश्व पर सबसे बड़ा संकट छाया है कोविड-19 का। इससे मुक्ति के लिए अनेक देश अपने-अपने ढंग से प्रयास कर रहे हैं, वैक्सीन तैयार हो ही रही है। अनेक आयुर्वेदिक व जड़ी-बूटी, वनौषधियों के विशेषज्ञ अपने-अपने स्तर से मनुष्य का ‘इम्यून पावर’ आंतरिक क्षमता बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। इनका मानना है कि ‘‘प्रकृति व्यक्ति की सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी है। जब तक व्यक्ति प्रकृति व पर्यावरण के साथ छेड़-छाड़ नहीं करता, प्रकृति अपना सुरक्षा कवच मानव के साथ बनाये रखती है। पर प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करते ही मनुष्य का वाह्य एवं आंतरिक दोनों सुरक्षा कवच टूटने लगते हैं। व्यक्ति शरीर, मन, भावना तीनों से कमजोर हो उठता है। फिर स्वास्थ्य गड़बड़ाता है।’’ आज का कोरोना संकट हमारा इम्यून पावर कमजोर करके आंतरिक स्वास्थ्य रक्षा कवच तोड़ने का ही तो प्रयास कर रहा है। ऐसे ही अनेक स्थितियों में व्यक्ति को अपनी आंतरिक क्षमता को बनाये रखने के लिए प्रकृति का ही सहारा लेना होता है, क्योंकि क्रमशः रासायनिक औषधियां तो अपना वजूद खोती जा रही हैं, ऐसे में योग व वनौषधियां भी एक स्वास्थ्य रक्षा का मार्ग है। योग मनुष्य के आंतरिक विचार से लेकर अनेक शक्ति धारायें और वाह्य व्यवहार में एकरुपता लाता है, जिससे मनुष्य अपनी क्षमता-सामर्थ्य का उपयोग कर पाता है। क्योंकि व्यक्ति की जब विभिन्न शक्तियां अलग-अलग दिशा में बह रही हैं, तो व्यक्ति अपनी क्षमता को 100 प्रतिशत पूर्ण कार्यकुशलता में परिवर्तित करने में सफल नहीं हो पाता। वहीं योग ईश्वर से एकरूपता, निकटता लाने के साथ स्वास्थ्य संवर्धन का भी दर्शन है। योग का स्वास्थ्य पथः योग को सिद्ध करने की अनेक पद्धतियां प्रचलित हैं। यथा-अष्टांग योग, कुण्डलिनी योग, राजयोग, क्रियायोग, हठयोग, भक्तियोग, लययोग, सहजयोग, ज्ञानयोग इत्यादि। ईश्वर समस्त रूपों, गुणों, वैभव, सौन्दर्य, शक्तिधाराओं का समग्र रूप है। इसीलिए हम ईश्वरतत्व को प्राप्त करना चाहते हैं। ईश्वर और मनुष्य के बीच की विभिन्न अड़चनों को दूर करे बिना यह संभव नहीं। इन्हीं को दूर करने का उपाय महर्षि पतंजलि प्रणीत अष्टांग योग में है। इस प्रयास से व्यक्ति की आंतरिक क्षमतायें जगती हैं और उसका व्यक्तित्व क्रमशः निखरता जाता है और उसे कई सारी विशेषताएं प्राप्त होती जाती हैं। ऐसा व्यक्ति सांसारिक उलझनों से आसानी से अप्रभावित रहते हुए निकल पाता है। महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग में आठ साधन वर्णित हैं। इनका अनुष्ठान करके हम उस परमपद, परम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, ईर्ष्या, अहंकार, द्वेष आदि का नाश करके हम अपनी आंतरिक शक्तिधाराओं को जगाते और स्थाई सुख-शांति, अविरल आनन्द की प्राप्ति करते हैं। ईश्वर प्राप्ति मार्ग भी तो यही है। पतंजलि का योग सूत्र विश्व को भारतीय संस्कृति के कई उपहारों में योगदर्शन एक विशिष्ट देन है। महर्षि पतंजलि ने योगदर्शन के चार अध्यायों समाधिपाद, साधनपाद, विभूतिपाद एवं कैवल्यपाद में कुल 195 सूत्र दिये हैं। जिनमें हमारे मन में उठने वाले समस्त विचारों, दृश्यों, भावनाओं आदि का सर्वथा निरोध करने, मन को सब प्रकार से शांत करके उसे निज स्वभाव द्वारा उच्च चिन्तन में नियोजित कर ध्यानस्थ करने तथा मन एकाग्रता द्वारा मनुष्य को परमात्मा की उपलब्ध शक्तियों से जोड़ने की विधा समाहित है। साधन पाद के 55 सूत्र में प्रारम्भिक साधकों के लिए योग के साधनों में क्रिया योग के सामान्य अनुभव में आने वाले क्लेशों, उनके नाश का उपाय, योग के आठ अंग, प्राणायाम आदि व इनके लक्षण, स्वरूप फल आदि का वर्णन है। योग साधनों के अभ्यास से प्राप्त होने वाली विविध प्रकार की सिद्धियों, ऐश्वर्यों के साथ धारणा-ध्यान-समाधि के लक्षण व फल आदि का विभूतिपाद के 55 सूत्रों में वर्णन है। अंतिम अध्याय कैवल्य पाद कैवल्य या मोक्ष के यथार्थ स्वरूप का वर्णन है। इन सभी का लक्ष्य है व्यक्ति का विश्व शक्ति धारा से जुड़ाव, जो व्यक्ति को हर दृष्टि से स्वस्थ, समर्थ बनाती है। समर्थ स्वास्थ्य आभा से कैसी भी महामारी हो प्रभाव नहीं डाल सकती है। इसी के साथ यदि वनौषधि भी उपचार से जोड़ सकें तो लाभ बढ़ जाता है। वनौषधाीय उपचारः योग एवं वनौषधियां दोनों स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमारे जीवन के साथ जुड़े कुछ वनौषधीय उत्पाद इस महामारी काल में हमारी आंतरिक क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैंµ काली मिर्च-यह वायरस की पेप्टाइड बोन को तोड़कर शरीर को डीटॉक्स कर देता है तथा शरीर के सूजन को दूर करती है। मुलेठी में कुरसेटिन होता है, जो वायरस की प्रोटीन को कमजोर बना देता है जिससे उसका संक्रमण खत्म हो जाता है। पुनर्नवा में मिथैनॉल होता है, जो वायरस की उपरी परत को तोड़ता है। सोठ और पपीता में MRNA और RNA की Multiplaction को रोक कर उसकी शक्ति बढ़ने से रोकता है। गिलोय वायरस के Evalop को तोड़ता है और बॉडी से उसको बाहर करता है। अश्वगंधा शरीर को एनर्जी देता है। पीपल Bronchodilator होती है। दालचीनी डाइजेशन को मजबूत करती है। बहेड़ा शरीर को बल देता है। छोटी इलायची गले तथा मुख संबंधी रोगों में फायदा करती है। इस प्रकार जहां योग साधनाओं के माध्यम से व्यक्ति अपनी बिखरी विभिन्न क्षमताएं एक स्वर में करने का प्रयास करते हैं। वहीं जड़ी-बूटियां व्यक्तित्व में स्वास्थ्यगत समग्रता लाती है। मनुष्य का शरीर, हृदय, रक्त तथा मन एक ही दिशा में संलग्न होने से उसका इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। जिससे स्वास्थ्य संवर्धन होता है। योग एवं वनौषधि का योग इसी लिए सदियों से कारगर रहा है।

कोरोना संकट में योग-वनौषधि एवं स्वास्थ्य

इन दिनों देश सहित सम्पूर्ण विश्व पर सबसे बड़ा संकट छाया है कोरोना (कोविड-19) का। […]
September 2, 2020
Self Remembrance

Self-Remembrance

  A human’s life is often like a rat race, running continuously after a goal, […]
August 31, 2020
इसलिए आवश्यक है मानव में देवत्व

इसलिए आवश्यक है मानव में देवत्व

मनुष्य में देवत्व के गुण जगें, मनुष्य मनुष्य की सही पहचान कर सके, सभी विचारों […]
August 29, 2020
THE EMOTIONAL CROP

THE EMOTIONAL CROP

Cultivating and Reaping Positive Emotions “If you love something, don’t tell people. People ruin beautiful […]
August 28, 2020
मौन ध्यान से खुलते हैं साधक के प्रज्ञा स्तोत्र

मौन ध्यान से खुलते हैं साधक के प्रज्ञा स्तोत्र

शब्द एक भौतिक पदार्थ है। शब्दों में मौन को प्रकट करना संभव नहीं है, अतः […]
August 26, 2020
Radha - an Epitome of Love | Happy Radha Ashtami

Radha – an Epitome of Love | Happy Radha Ashtami

Radha and Krishna, having different bodies but united in the same soul, were inseparable. Radha […]