योग निद्रा
(आध्यात्मिक नींद)
नींद भगवान् का सबसे बड़ा वरदान है, जो थके हारे मनुष्य को अपनी गोद में लेकर आराम पहुंचाती है। यदि यह नींद हमारी समाधि बन जाए, तो 6-7 घंटे बेहोशी में न बीतकर परमात्मा के चरणों में समर्पित हो जायें। भक्ति परवान चढ़ने लगे, मानव का चोला सार्थक हो जाए। इसका सरल तरीका है योगी की तरह सोना सीखें।
योग निद्रा का अभ्यास करने से रात्रि में समाधि का आनंद और दिन में सतत ध्यान का आनंद रस जीवन को सहज पुलकित कर देगा।
योगनिद्रा के प्रयोगः
- योग निद्रा के लिए पहले पूरा शरीर ढीला छोड़ते हुए आराम से सीधे लेट जाएं।
- मन ही मन ईश्वर को याद करें और उसके नाम की लगन की मन में आयी प्रेरणा के लिए परमात्मा को धन्यवाद दें।
- शरीर को रिलैक्स करने के लिए गहरे लम्बे सांस लें और छोड़ें।
- शरीर के एक-एक अंग को मन की आंखों से देखें और मन ही मन शांत होते हुए, अपने को शिथिल करते जाएं।
- इस क्रिया को सिर से प्रारम्भ करें और पैरों तक जाएं, और फिर पैरों से वापस सिर तक लौटें।
- तत्पश्चात् इसी अवस्था में सीधे लेटे हुए मन को अपनी नाभि में केन्द्रित कर लें।
- इसी क्रम में कल्पना करें कि आसमान से जल की एक मोटी-सी बूंद उतरी और नाभि से होकर उदर में समा गयी। इस जल के अमृत प्रभाव से वक्ष-मंडल में प्रेम और करुणा की ऊर्जा प्रवाहित होने लगी।
- उदर-मण्डल, हथेलियां, कंठ, सब ऊर्जा से भर रहे हैं। मुखमण्डल और सिर के ऊपरी भाग से ध्यान ऊर्जा अंदर प्रवेश कर रही हे। एनर्जी की बारिश हो रही है और मैं इसमें पूर्णतया भींगकर कर आह्लादित अनुभव कर रहा/रही हूँ ।
- आनंदित होने का अर्थ है आप ईश्वर से जुड़ चुके हैं। यही समय है उस परम प्रिय से मन की बात करने की। इसी क्षण
- प्रार्थना का बीज बो दीजिए, इच्छा प्रकट कर दीजिए और उस इच्छा को पूरा होते हुए दृश्यात्मक अनुभव कीजिए।
- भाव करें आप एक चुम्बकीय शक्ति से युक्त हैं और ब्रह्माण्ड से अपनी इच्छित वस्तु को अपनी ओर खींच रहे हैं, आपकी झोली भर गयी और कृतज्ञता से आपकी अश्रुधारा बह कर आपके गुरु, ईश्वर के चरण पखारने लगी है।
- फिर सांसों पर मन को केन्द्रित करें और कुछ देर यूं ही स्थिर रहें।
- अब अपने तन का एहसास करते हुए हाथ-पांव को थोड़ा-थोड़ा हिलाएं, दोनों हथेलियों को नाभि केंद्र पर रखें और उसे ऊर्जा दें।
- अंत में आज के इस अवसर के लिए धन्यवाद दें और बाएं करवट से उठ कर बैठ जाएं। अगर रात्रि का समय हो तो लेटे ही रहें। स्वयं ही गहरी नींद आ जाएगी और जब आप प्रातःकाल जागेंगे तो मन में बहुत आह्लादित अनुभव होगा, लगेगा मैं कहीं की दिव्य यात्र से वापस लौटा/लौटी हूँ ।
Dr Archika Didi
YouTube