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महिलायें प्राणायाम-योगाभ्यास अपनाकर, कार्यालय व परिवार के बीच संतुलन बनायें

महिलायें प्राणायाम-योगाभ्यास अपनाकर, कार्यालय व परिवार के बीच संतुलन बनायें

महिलायें प्राणायाम-योगाभ्यास अपनाकर, कार्यालय व परिवार के बीच संतुलन बनायें

सभी महिलायें घर-परिवार एवं आफिस आदि के बीच दबाव मुक्त रहकर तथा संतुलन बिठाने में सफल होकर ही अनेक प्रकार के दायित्वों पूरा कर सकती हैं

महिलायें प्राणायाम-योगाभ्यास अपनाकर, कार्यालय व परिवार के बीच संतुलन बनायें

आजकल महिलायें अत्यधिक कामकाजी हो रही हैं, उन्हें कार्यालय, घर की जिम्मेदारियों सहित अनेक प्रकार के दायित्व निभाने पड़ते हैं। वैसे भी वे अत्यधिक संवेदनशील होती हैं, इसलिए अक्सर अधिक कामकाज से लेकर विभिन्न स्थितियों में दबाव अनुभव करने लगती हैं। ऐेसे में वे पौष्टिक आहार के साथ यदि योग और प्राणायाम का सहारा ले सकें, तो शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक व भावनात्मक दबाव से बहुत हद तक वे मुक्त रह सकती हैं। इससे वे अंदर की प्रसÂता भरी ऊर्जा शत्तिफ़, उल्लास-आनन्द आदि सहज बनाये रख सकती हैं। अपने मन, विचारों को मजबूत बना सकती हैं और इच्छा शक्ति को प्रखर कर सकती हैं। शोध बताते हैं कि योग और प्राणायाम शरीर, मन, भावनायें, चित्तवृत्तियां सबको संतुलित करने में सहायक होते हैं।

योग सोच को भी सकारात्मक बनाता है

अनेक प्रकार के उचित योगाभ्यास, विभिन्न आसनों से अपनी थायराइड ग्रन्थि को भी प्रभावशाली बनाने और हारमोन्स को संतुलित करने में सफल हो सकती हैं। नयी उम्र की युवतियां, टीन एज के लिए याददाश्त बढ़ाने, पढ़ाई आदि में एकाग्रता लाने में भी यह योग और प्राणायाम बहुत लाभदायक हो सकता है। योग सोच को भी सकारात्मक बनाता है। यही नहीं प्राणायाम के साथ जब कोई अपने श्वास पर ध्यान केन्द्रित करता है, तो सहज एकाग्रता बढ़ती है और मन उल्लास से भर उठता है। हम यहां योग-

प्राणायाम के पीछे कार्य करने वाले विज्ञान को जो शरीर, मन, भावनायें, चित्तवृत्तियों  पर अच्छा प्रभाव डालते हैं, समझने की कोशिश करते हैं।

मन को कैसे करें  मजबूत?

बात आती है मन की तो ध्यान रहे हमारे शरीर में मन कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है, न ही यह शरीर का कोई विशेष अंग है। लेकिन महत्व सर्वाधिक इसी का है, जीवन की सम्पूर्ण फीलिंग्स अर्थात दुख-सुख, कष्ट, थकान आदि जो भी कुछ है, हम इसी मन के सहारे अनुभव करते हैं। समय-समय पर उत्साहित व कमजोर भी सबसे पहले मन ही होता है। यह सदैव सक्रिय रहने वाला, कभी शान्त न बैठने वाला शरीर का प्रमुख तत्व है। मन ही सोचता है और मन ही हमारे जीवन की राहें नकारात्मक-सकारात्मक बनाता है। इसलिए इसे मजबूत करना आवश्यक है, इसके लिए सर्वप्रथम इसे इसकी सही खुराक देना आवश्यक है। मन की खुराक है विचार, यदि श्रद्धा-विश्वास बढ़ाने वाले सकारात्मक विचारों से मन को जोड़ते हैं, तो यह ऊर्जा-उत्साह से भरता है, लेकिन जैसे ही गलत विचार इसे मिलते हैं, तुरंत स्वयं के लिए यह मन खतरनाक बन जाता है।

अतः सबसे पहले इसी को साधने की जरूरत है, मन को सकारात्मक व सद् की दिशा में मजबूत कर सके, तो जीवन एवं सम्पूर्ण व्यक्तित्व सकारात्मक हो उठेगा। अतः अपने विचारों के प्रति सजग होना आवश्यक है।

दूसरा पक्ष है हमें अपनी भावनाओं के प्रति ध्यान पूर्वक सजग रहना। यदि मन बार-बार नकारात्मक, कमजोर हो रहा है, तो तलाशें कि हमारी इस नकारात्मकता का मूल कारण कहां छिपा है। इतनी सजगता मात्र से नकारात्मकता तत्क्षण सकारात्मकता में बदलने लगेगी।

प्राणायाम करने से मन शान्त होता है

कभी-कभी हमारा मन इतना नकारात्मक स्थिति में आ जाता है कि स्वयं को दीनहीन, कमजोर, हताश, निराश, अभागा मानने लगते हैं अथवा दूसरों के बारे में बुरा-बुरा सोचने लगते हैं। सावधान होकर रहें, हम दूसरों से अपनी तुलना न करें, कि उसने जीवन में इतना कुछ कर लिया, जबकि हम अभागे ही रह गये आदि। तुलना वाली आदत को तत्काल रोकें और अपने विषय में अच्छा सोचना शुरू करें, इससे बदलाव आयेगा।

अपने विचारों को सकारात्मक दिशा देने के साथ ही प्राणायाम एवं योगाभ्यास का प्रयोग अपनायें, इससे मन मजबूत होता है और सकारात्मकता आती है। प्राणायाम करने से मन शान्त होता जाता है,

प्राणायाम के साथ सद्भाव, बनाये रखें तो यह मन अल्फा स्तर की गहराई में उतरने लगता है। इसी प्रकार कुछ नियमित योगाभ्यास की प्रक्रिया अपने साथ जोड़ लें, जैसे-जैसे इनका प्रयोग करने वाली महिलायें शून्य या विचाररहित स्थिति अनुभव करती जायेंगी, शरीर, मन, भावनायें, चित्तवृत्तियां सब में शांति व संतुलन अनुभव होगा। आंतरिक उल्लास-प्रसन्नता, सकारात्मक ऊर्जा स्वतः उभरने लगेगी।

ये आसन विचार शून्यता लाने में मदद करते हैं

इस प्रकार हमारा उद्देश्य हो मन को उस स्थिति में पहुचाना, जहां विचार नहीं हैं और उसे आनन्द अनुभव कराना। वैसे भी कोई भी व्यक्ति हो वह देर तक अपने अंदर उठने वाले नकारात्मक विचारों को दबा नहीं सकता। अतः एक ही समाधान है कि आप उन्हें समझने का प्रयास करें। शिथिलीकरण, पवनमुक्तासन, ताड़ासन आदि योगाभ्यासों एवं अनुलोम विलोम, प्राणाकर्षण, नाड़ीशोधन आदि प्राणायाम से अपने को जोड़ें। यह विचार शून्यता लाने में प्रभावी ढंग से मदद करते हैं।

इस प्रकार प्रत्येक महिलायें वह अत्यधिक कामकाजी हों, कार्यालय के काम से जुड़ी हों अथवा सामान्य गृहणी सभी इन प्रयोगों के सहारे अपने घर- परिवार एवं आफिस आदि के बीच दबाव मुक्त रहकर संतुलन बिठाने में सफल हो सकती हैं। अपनी जिम्मेदारियों सहित अनेक प्रकार के दायित्व पूरा करने में सकारात्मक अनुभव करती रह सकती हैं।

Dr Archika Didi

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