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हम सब हैं सत्य अभियान के पुजारी | सत्यमेव जयते

हम सब हैं सत्य अभियान के पुजारी | सत्यमेव जयते

हम सब हैं सत्य अभियान के पुजारी

संसार में सत्य ही सबसे बड़ी प्रतिज्ञा है, क्योंकि सत्य बहुत उत्तम बल और शक्ति है। सत्यवादी होने से बढ़कर श्रेयस्कर कुछ भी नहीं है।

असतो माँ सद्गमय

संसार विचित्रताओं से भरा है, सत्य-असत्य भी इसी प्रवाह के अंग हैं। इन सबके बावजूद स्वयं हम पर निर्भर करता है कि हम किस धारा को आत्मसात करते हैं। सत्य को अपनाते हैं तो शिखर छूते हैं, पर असत्य हमें जमींदोज करता है। इसलिए कहते हैं सदा सत्यबोलें और आत्मबल प्राप्त करें। ईश्वर ने संसार में बहुत विचित्रताएं बना रखी हैं, अपने बुद्धि बल से मनुष्य इन विचित्रताओं के रहस्य खोलता रहता है। सत्यभी एक रहस्य ही है। ‘असतो माँ सद्गमय’ अर्थात असत्य को हटाकर सत्यकी ओर अग्रसर होने की कामना मनुष्य ने हमेशा से की है और करनी भी चाहिए।

सत्यसे बढ़कर कोई धर्म नहीं

संसार में सत्यकी बड़ी प्रतिज्ञा इसलिए है, क्योंकि सत्यबहुत उत्तम बल और शक्ति है। सत्यवादी होने से बढ़कर श्रेयस्कर कुछ भी नहीं है। सत्यकाअर्थ है जो पदार्थ जैसा है, उसको वैसा ही जानना, मानना और प्रकट करना। शास्त्रें में सत्य को तप और धर्म की संज्ञा दी गयी है। सत्यवादी के मुखमंडल पर एक अलग तरह का तेज रहता है। जबकि मिथ्यवादी के चेहरे पर ऐसी चमक नहीं रहती। यही नहीं असत्य वादियों का विश्वास और साख लगातार टूटता रहता। हाँ, एक बात कि सत्य बोलें लेकिन सत्य कटु न बोलें, वह दूसरों के हृदयों पर चोट न पहुंचाए, वह हितकर और प्रिय हो।

यह कटु सत्य है कि सत्यकीजय होती है और असत्य हारता है। सत्यमें बड़ी शक्ति है। इसीलिए सत्यसबसे बड़ा धर्म माना गया है। सत्य-तपस्या है, योग और यज्ञ भी है। आर्षग्रंथों में तो यहां तक कहा गया है कि सत्यसे बढ़कर कोई धर्म नहीं और झूठ से बढ़कर कोई पाप नहीं है।

सत्य की अग्नि मनुष्य के दोषों को जला देती है

अतः असत्य को छोड़कर सत्यको ग्रहण करना चाहिए। राजा हरिश चन्द्र, स्वामी दयानंद सरस्वती और महात्मा गांधी ने सत्य के प्रयोग से ही सफलता पाई और सबको चकित कर दिया। सत्यस्वयंएकअग्नि है, उसे कोई और प्रभावित नहीं कर सकता। सत्य की अग्नि मनुष्य के दोषों को जला देती है और मनुष्य के अंतःकरण को पवित्र करती है। इसीलिए इसे ‘पावक’ भी कहते हैं। असत्य भाषण का अर्थ है कि हर कुछ स्वार्थ सिद्धि या परदोष के लिए किया जा रहा है, अंततः यही मनुष्य के पतन का कारण भी है।

जबकि सत्य का आचरण करने वाला व्यक्ति ही सदाचारी होता है, वह निरन्तर उत्तम मार्ग पर आगे की तरफ बढ़ता जाता है। वैसे भी सदाचारी व्यक्ति का सामना कभी दुराचारी मनुष्य नहीं कर पाता, इसलिए सदा सत्यबोलें, क्योंकि सत्य बोलने से आत्मबल बढ़ता है। कहा भी गया है कि सत्यमें हजार हाथियों का बल होता है। इसलिए सत्य ही हमारा जीवन बने, हमारा कर्म बने। क्योंकि सत्यअभियान के पुजारी ही तो हैं हम सब।

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