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ध्यान में संगीत का संयोजन

ध्यान में संगीत का संयोजन

‘ध्यान’ में संगीत का संयोजन

ध्यान से किसी भी रोग को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। ध्यान और आध्यात्मिक संगीत के सहज संयोजन से ध्यान के शीर्ष तक पहुंचा जा सकता है। 

आनंदमयीध्यान की अवस्था है ‘समाधि’

अर्थात् ‘समाधि’ का तात्पर्य एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हम सहज और आसानी से ध्यान कर सकते हैं।

 

सहज समाधिध्यान से वास्तविक विश्राम की अनुभूति होती है। हम सभी की जिन्दगी में कई क्षण ऐसे होते हैं, जब हमारा मन शांत और दुनियादारी के सारे बोझों से दूर होता है, लेकिन कई बार हमारी चाहत होती है कि हम उन क्षणों को दोबारा अनुभव कर पाते।

यह ध्यान इन्हीं क्षणों की अनुभूति करना सिखाता है। यह एक ‘ध्यान’ करने की प्रक्रिया है। इसे करने के तुरन्त बाद ही हमारा शरीर तनाव और परेशानियों से बहुत दूर हो जाता है। मन को असीम शांति की अनुभूति होती है।

सहजध्यान एक मंत्रध्यान है। इसमें एक सरल ध्वनि मंत्र सिखाया जाता है। इस मंत्र का मन में उच्चारण करने से मन को शांति और स्थिरता मिलती है। जब हमारा मन और तंत्रिका तंत्र गहराध्यान करके विश्राम की स्थिति में होता है। तब हमारा मन प्रफुल्लित होने लगता है। इससे हमारे मन के द्वार खुलने लगते हैं।

सहज समाधिध्यान के अभ्यास से किसी भी विषय पर विचार स्पष्ट होने लगते हैं। शरीर की ऊर्जा बढ़ने लगती है। इस तरह के ध्यान से मन को बहुत शांति की अनुभूति होती है।

एक स्वस्थ व्यक्ति कौन है?

‘ध्यान’ के परिप्रेक्ष्य में ध्यान और संगीत कैसे एक दूसरे के पूरक हैं, इसका उल्लेख करना आवश्यक है। स्ट्रेस  मैनेजमेंट और सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए ‘ध्यान’ के साथ संगीत के मेल से अद्भुत लाभ प्राप्त होता है। संगीत के साथ ध्यानकरने से दिमाग से तनाव कम होता है। संगीत से मनोदशाएं जागृत होती हैं। ध्यानके साथ संगीत के संयोजन से साधक के मन और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह वैज्ञानिक स्तर पर सिद्ध है कि संगीत से मानसिक शांति मिलती है। अतः ध्यान करने के लिये बहुत ही धीमा संगीत चलाएं। अगर ओम नमः शिवाय, गायत्री मंत्र या अन्य कोई संगीत चलाएं तो संगीत पर ही ध्यानकेन्द्रित करें। संगीत मय ‘ध्यान’ करने से मानसिक रोग तथा अन्य कई रोग स्वतः दूर होने लगते हैं।

एक स्वस्थ व्यक्ति वह है, जो शारीरिक तौर पर रिलैक्स, मानसिक तौर पर एलर्ट, भावनात्मक तौर पर शांत और आध्यात्मिक तौर पर सजग है। पूरी तरह से स्वस्थ रहने के लिए मानसिक और भावनात्मक पहलू भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने शारीरिक पहलू। ध्यान से किसी भी रोग को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। ध्यान और आध्यात्मिक संगीत के सहज संयोजन सेध्यान के शीर्ष तक पहुंचा जा सकता है।