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महाशिवरात्रि पर्व पर ग्रहण करें शिवत्व

महाशिवरात्रि पर्व पर ग्रहण करें शिवत्व

महाशिवरात्रि पर्व पर ग्रहण करें शिवत्व : व्यक्तिगत जीवन में देखें तो मानव मस्तिष्क शिव ऊर्जा का प्रतीक है जिसमें दो भाग हैं दायाँ भाग भावना प्रधान है, तो वायाँ तर्क प्रधान। दोनों के संतुलन से जीवन में कल्याणकारी ऊर्जा का जन्म होता है और सृजन फूटता है। वैसे भी शिव व शक्ति अर्थात् शिवा के सम्मिलन के बिना जीवन में शिवत्व असम्भव है। पर जीवन में शिवत्व अर्थात् कल्याण बोध जागरण हेतु पाँच अनुशासनों का पालन भी आवश्यक है।

प्रथम

जीवन में ‘तप’ की स्थापना, जो मानव में आत्मबल जागरण करता है।

दूसरा

‘कर्म’ अर्थात ईष्ट-आराध्य व लक्ष्य के प्रति सतत् सद्कर्म।

तीसरा

‘जप’ अर्थात् सद् की पुनरावृत्ति अनंतर काल तक।

चौथा

‘ध्यान’ अर्थात् जीवन को शिव संकल्पवान बनाने के लिए ‘कल्याण’ तत्व की अंतः में प्रतिष्ठा, जिससे मन विसंगतियों से मुक्त हो सके।

(ध्यान  के लिए क्लिक करें)

पांचवा

‘ज्ञान’ अर्थात् चिंतन का युगानुरूप शोधन जिससे दिव्य आचरण का निर्माण होता रहे।

इस प्रकार शिव संकल्प के पंचशीलों से ‘शिवत्व’ के जागरण का मार्ग प्रशस्त होता है और जीवन 12 आयामों से उद्घाटित हो उठता है। शिव के 12 ज्योतिलिंग जीवन में घटित होने वाली 12दिव्यताओं के ही प्रतीक हैं। पर यह दिव्यतायें उद्घाटित तभी होती हैं, जब व्यक्ति लोककल्याण के लिए ‘विषपान’ को तत्पर रहे।

शिवत्व की दृष्टि आते ही चहुर्दिशा में न्याय का शासन स्थापित होता है। स्वास्थ्य के प्रति न्याय, स्वाद के प्रति न्याय, सामाजिक परम्पराओं के प्रति न्याय, सोच के प्रति न्याय, संकल्प के प्रति न्याय। स्वस्थ शरीर, स्वच्छ मन, सभ्य समाज का मार्ग भी तभी प्रशस्त होता है। तभी कल्याणकारी विश्व निर्मित होता है और महाशिवरात्रि की सार्थकता सिद्ध होती है। आइये अपने सद्गुरु परम पूज्य सुधांशु जी महाराज  के मार्गदर्शन में हम भी शिवत्व प्रतिष्ठा के इस महापर्व में अपना हाथ बटायें और महाशिवरात्रि पर्व को सार्थक करें।