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जीवन के प्रमुख कोच

जीवन के प्रमुख कोच

जीवन के प्रमुख कोच

अपने कोच से दाव-पेंच सीखने पड़ते हैं। कई हारें मिलती हैं, कई बार मुंह के बल गिरना पड़ता है, चोटें लगती हैं। इस प्रकार हार खाकर चिंतन करने पर उसे अपने कोच के निर्देशन याद आते हैं, फिर उसे अपनी गलतियों पर ध्यान जाता है।

जीवन के प्रमुख कोच

सर्वव्यापी-न्यायकारी ईश्वर की अपनी संतानाें से एक ही अपेक्षा रहती है कि जो सामर्थ्य देकर हमने इसे धरा पर भेजा है, जितनी शक्ति देकर मैंने इसे दुनिया में भेजा है, उस पर स्थिर हो करके जड़ तो नहीं बना जा रहा, सदुपयोग तो कर रहा, अथवा अपनी शक्ति सामर्थ्य घटाकर रोता कलपता जीवन तो नहीं गुजार रहा है।

कोच, जो ऊँचाईयां दिलाते हैं

यदि ईश्वर को किसी के जीवन में स्थिरता-जड़ता नजर आती है, तो वह क्षमता तराशने के लिए सबसे पहले उस व्यक्ति को उसकी क्षमता अनुसार संघर्षों से जोड़ देता है। जो व्यक्ति अपनी सूझबूझ से इन परिस्थितियों-कठिनाईंयों से बाहर निकलने में कुशल होता है, उसमें अपनी भक्ति के आसन पर बैठने की प्रेरणा भरता है, जिससे फिर कभी वह न तो जड़ता का शिकार हो, न ही पुनः कठिनाइयों में घिरे। इसीलिए कहते हैं कि जिन्दगी में जब-जब समस्यायें आयें, तो उसी ईश्वर को याद करना-पुकारना चाहिए, जिसने हमें इस धरा पर भेजा है। साथ ही अंदर से यह भाव जगाना चाहिए कि परमात्मा अवश्य हमारे लिए इससे बेहतर करने वाला है। इस प्रकार धैर्य-हिम्मत रखकर, शान्त भाव से आयी हुई चुनौती का सामना करना चाहिए।

समस्या है तो समाधान जरूर होगा, समस्या से जूझेंगे तो शक्ति जागृत होगी

कहावत है कि “समस्या है तो समाधान जरूर होगा, समस्या से जूझेंगे तो शक्ति जागृत होगी।“ वास्तव में कोई भी व्यक्ति मैदान में उतरते ही चैम्पियन नहीं बनता, उसे जूझना पड़ता है, नित्य अभ्यास करना पड़ता है, कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। अपने कोच से दाव-पेंच सीखने पड़ते हैं। कई हारें मिलती हैं, कई बार मुंह के बल गिरना पड़ता है, चोटें लगती हैं। इस प्रकार हार खाकर चिंतन करने पर उसे अपने गुरु के निर्देशन याद आते हैं, फिर उसे अपनी गलतियों पर ध्यान जाता है।

जैसे ही चूंकें समझ में आती हैं, आंखें चमक उठती हैं, होठों पर मुस्कान खिल आती है, अंतःकरण आ“लाद से भर उठता है। इस प्रकार सूझबूझ के साथ पुनः प्रयास करते ही उसे सफलता मिलती है। आत्मबल जागते ही ईश्वर का जीवन में हर पल साथ होने का अहसास होने लगता है। इस प्रकार नये रास्ते खुल पड़ते हैं, जीवन स्तर ऊंचाई छूने लगता है, भाग्य करवटें लेने लगता है।

ईश्वर और सद्गुरु जीवन के प्रमुख कोच

इसीलिए कहते हैं प्रत्येक परेशानी व्यक्ति को बलवान बनाने के लिए आती हैं। यही जीवन व्यवहार का तप है। कठिनाइयां स्वयं को निखारने का अवसर हैं, जिससे सफलता के फूल खिलते हैं, जीवन रूपी सोना कुन्दन बनने का अवसर पाता है। कुछ बनकर दिखाने-कुछ कर गुजरने की तमन्नायें जीवन में उठती हैं। इसी लिए कहा जाता है ईश्वर और सद्गुरु को जीवन संग्राम का कोच मानें और उसके निर्देशन में सतत अभ्यास की कोशिश करते रहना जीवन है। ऐसा व्यक्ति कर्मठता से कर्त्तव्यों का पालन करता है, जड़ता मुक्त रहकर ऊंचाईयां छूता है। आइये! जीवन में ईश्वर विश्वास जगायें, गुरुकृपा से समस्या रूपी परीक्षा में सफलता पायें।
डॉ. अर्चिका दीदी