दीपावली के महापर्व की महीनों पहले ही तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। सभी लोग अपने घर एवं कार्यस्थलों की साफ-सफाई करने लगते हैं रंग-रोगन आदि से उन्हें सजाने-संवारने लगते हैं।
माँ लक्ष्मी को पसंद है पवित्रता, स्वच्छता, शुद्घता । सभी जन अपने-अपने स्तर पर, सुख-समृद्घि की देवी माँ लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए मन प्राण से शुभ कार्यों में संलग्न हो जाते हैं और ऐसा होना भी चाहिए।
क्योंकि माँ लक्ष्मी को पवित्रता, स्वच्छता, शुद्घता ही सबसे ज्यादा पसंद है। दीपवाली का रूप पवित्रता, प्रेरणा, सामंजस्य रहे तो अच्छा होगा।
हमारा उल्लास मर्यादित हो तथा प्रेम से भरपूर हो। किसी की खुशी छीनने वाला नहीं होना चाहिए।
इस अवसर पर जुआ खेलकर,अत्याधिक आतिशबाजी करके वातावरण को विषाक्त करना तथा धन का अपव्यय करना, धमाके करके रोगी, वृद्घजनों एवं विद्यार्थियों को कष्ट पहुंचाना धर्मिक कार्य नहीं है।
परंतु केवल घर की दीवारों को सजाने से, आंगन को रंगोली आदि सजाने से से ही माता लक्ष्मी का प्रसन्न होना असंभव है। जब तक हमारा मन पवित्र नहीं होगा, विचारों में शुद्घता नहीं होगी। हृदय में प्रेम नहीं होगा, वाणी में मधुरता नहीं होगी, दृष्टि में प्यार नहीं होगा तब तक माँ लक्ष्मी की कृपा से हम वंचित ही रहेंगे।
बाहर भी स्वच्छता हो और अंदर भी पवित्रता हो। तब माँ लक्ष्मी अपनी अनंत कृपाओं के साथ शुभ लाभ बनकर हमारे घर परिवार में, समाज और मोहल्ले में, नगर और प्रान्त में, देश और संसार में खुशहाली बनकर प्रकट होती है।
आज सारा जगत् माँ लक्ष्मी की कृपाओं से वंचित नजर आ रहा है। महामारी कोरोना की वजह से मंदी की मार सब झेल रहे हैं। इसके और भी अनेक कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण हमारे अंदर का अंधेरा है।
हमारे अंदर कालिख पुता हुआ है। जब तक अंदर की कालिमा का अंत नहीं होगा, तब तक खुशहाली का आगमन असंभव है।
दीपावली ज्योति से ज्योति को ज्योतित करने का महापर्व है। हम ज्ञान की ज्योति से प्रकाशित होकर प्रेम के दीप जलायें तब अंधेरे का वजूद समाप्त हो जाएगा। चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश फैल जाएगा और खुशियाँ ही खुशियाँ दिखाई देंगी तथा तब माता लक्ष्मी की कृपा पाना भी संभव हो जायेगा।
दीपावली के सुअवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ |
From 20th to 25th August, 2022
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