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गौ सेवा से खुलता है यश-कीर्ति-सौभाग्य का  द्वार

गौ सेवा से खुलता है यश-कीर्ति-सौभाग्य का  द्वार

गौ सेवा से खुलता है यश-कीर्ति-सौभाग्य का  द्वार

शास्त्रों में गौ माता की साक्षात यज्ञरूप मान्यता है। भगवान श्रीकृष्ण से लेकर अनेक भारतीय ऋषि गौ सेवा को यज्ञ समान पुण्य प्राप्त होने का संदेश दिया है।

गौ सेवा से खुलता है यश-कीर्ति-सौभाग्य का  द्वार

शास्त्रों में गौ माता की साक्षात यज्ञरूप मान्यता है। भगवान श्रीकृष्ण से लेकर अनेक भारतीय ऋषि गौ सेवा को यज्ञ समान पुण्य प्राप्त होने का संदेश दिया है।

गौ में मां जैसी ममता, करुणा और वात्सल्य है, वह मानव मात्र का हित करने वाली है। इसलिए हमारे पूर्वजों ने गौ सेवा, गौ माता की पूजा, रक्षा को दिनचर्या का अंग बनाया था। कहते हैं देशी गायों की सेवा के निमित्त किया गया एक ग्रास का दान भी सुख-समृद्धि-सौभाग्य जगाता है। महाभारत में गौ सेवा की महिमा को लेकर वर्णन है कि जो व्यक्ति स्त्री-पुरुष सहित सम्पूर्ण कुटुम्ब गौ माता की सेवा करता है, उनकी पवित्र सान्निध्य का उपयोग करता है, गौ माता को सन्तुष्ट रखता है, उसे गौ माता अत्यन्त दुर्लभ आशीर्वाद प्रदान करती है, सौभाग्य जगते हैं।

                गाश्च शुश्रूषते यश्च समन्वेति च सर्वशः।

                तस्मै तुष्टाः प्रयच्छन्ति वरानपि सुदुर्लभान्।।

                द्रुहोत्र मनसा वापि गोषु नित्यं सुखप्रदः।

                दान्तः प्रीतमना नित्यं गवां व्युषि्ंट तथाश्नुते।

वैज्ञानिक अनुसंधानों से ज्ञात होता है कि आज गाय से दूर होकर मानवता दुख-अशांति, उपेक्षा, उपहास का शिकार हो रही है। विद्वानों ने इससे निजात के लिए भारतीय नस्ल की गायों को महत्वपूर्ण बताया। ग्लोबल वार्मिंग जैसे भयानक संकट को भी टालने और सम्पूर्ण जीवन संरक्षण के लिए गौ संरक्षण जरूरी कहा है।

गाय का सम्बंध हमारे जन्म, जीवन और मरण सभी से है

गुरु सेवा के बाद गौ सेवा को ही यश कीर्ति देने वाला माना गया है। पूज्यवर मानते हैं कि ‘‘गाय का सम्बंध हमारे जन्म, जीवन और मरण सभी से है। स्वास्थ्य और समृद्धि का आधार है गौ माता। गौ संरक्षण से ही यह देश समृद्ध था, सुसंस्कृत था, दैवीय एवं भौतिक समृद्धि से भरा था। अतः आज पुनः देशवासियों को अपनी ऋषि प्रणीत परम्पराओं, गौ संरक्षण संवर्धन की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है। क्योंकि गौ को सुरक्षित, पोषित करके ही हम लोक जनमानस को सुरक्षित, पोषित एवं पुष्ट कर सकते हैं।’’

सात विशाल गौशालायें पूज्य महाराजश्री द्वारा स्थापित

गौसेवा करके भक्तों के जीवन को यश कीर्ति सौभाग्यशाली बनाने जैसी प्राचीन काल से चली आई मान्यता एवं देशी गाय की सेवा-संरक्षण से जुडे़ वैज्ञानिक शोध परिणामों को देखते हुए आनन्दधाम आश्रम, नई दिल्ली सहित देश के विविध मिशन आश्रमों में छः अन्य विशाल गौशालायें पूज्य महाराजश्री ने स्थापित कराईं। जिसमें पानीपत, लालसोट, बैंगलोर, कानपुर, मुरादाबाद और हैदराबाद की गौशालाएं प्रमुख हैं।

आनन्दधाम की गौशाला के ऊर्जावान क्षेत्र के बीच आश्रम पधारे साधक श्रद्धा भाव से बैठकर पवित्र ऊर्जा तरंगे अनुभव करतेे हैं। गुरुभक्त कामधेनु गौशाला में गीर जैसी दिव्य प्रजातियों की गायों की सेवा करते हैं, कई साधक अपने जन्मदिन पर न्यूनतम एक गौ माता के लिए चारा दान करते हैं, कई कई साधक एक गाय की वर्ष भर की जिम्मेदारी लेकर अपना एवं अपने परिवार का पुण्य-सौभाग्य बढ़ाते हैं। गौसेवा का पुण्यलाभ प्राप्त करते हैं। आनन्दधाम की कामधेनु गौशाला में स्वयं पूज्यवर भी नित्य गौसेवा अपने हाथों से करते हैं।

लोक परम्पराओं में है सुरक्षित गौ भविष्य

इसी के साथ गुरुदेव ने देशभर में फैले अपने करोड़ों भक्तों में प्रेरणा जगाई कि वे गौ सेवा अभियान में भागीदार बनें। गौसेवा अभियान के तहत घर-घर गौ ग्रास निकाला जाये, जिससे लोक परम्परायें सुरक्षित हो सकें। गायों को बचाने के लिए पर्व त्योहारों-मांगलिक अवसरों पर गोबर से बने दीपकों का प्रयोग हो। ऋषि परम्परा से गौर आधारित कृषि कार्य हों, औषधीय जड़ी-बूटियों को मिलाकर गौकाष्ट के निर्माण किये जायं, औषधीय जड़ी-बुटियों से युक्त गौ उत्पाद के दीपक बने, लोगों द्वारा गौदुग्ध से लेकर सम्पूर्ण गौ उत्पादों के प्रयोग पर बल दिया जाये। इससे गौ सेवा, गौ संरक्षण, गौपोषण का युग लौटेगा, जिसकी बड़ी आवश्यकता है।

गौशालाओं की गऊओं को गोद लेना

जो भक्त अपने घरों में गौ नहीं पाल सकते, गौशालाओं की गऊओं को गोद लेकर, उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी निभाकर गौपालन का पुण्यफल प्राप्त कर सकते हैं। गुरुदेव द्वारा प्रदान किये जा रहे इस गौ सेवा के अवसर को भक्त अपना सौभाग्य माने, गौमाता, गुरु, परमात्मा के साथ साथ अपने पितरों के आशीर्वाद का सुयोग पायें। वातावरण को दिव्य ऊर्जा से भरें।

Dr Archika Didi