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प्रकाश की साधाना करें, जीवन को नव ऊर्जा से भरें

प्रकाश की साधाना करें, जीवन को नव ऊर्जा से भरें

भारतीय संस्कृति प्रकाश की संस्कृति

भारतीय संस्कृति प्रकाश की संस्कृति (Indian Culture, The Culture of Light)

भारतीय संस्कृति प्रकाश की संस्कृति है, संसार के जो भी पदार्थ हैं वे भी प्रकाश के ही कण से भरे हैं। प्रकाश इस संसार में सबसे शुभतम ऊर्जा है, हर पदार्थ प्रकाश के ही रूप है।

जितनी गहराई में हम जाते हैं, वहां पदार्थ नहीं केवल ऊर्जा मात्र मिलती है। जो कुछ पदार्थ हमें दिखते हैं, यदि उसके माल्यीक्यूलर, अणु, ऐटम व इलेक्टान, प्रोटान, न्यूटान जो दिखते हैं वे विद्युत कण प्रकाश ही है। ऊर्जा ही पदार्थ रूप में अभिव्यक्त होती है। संसार भी प्रकाश रूप है, वही चेतन तत्व है।

प्रकाश वह शक्ति है, कि जीवन प्रकाश के बिना जी ही नहीं सकता। प्रकाश न हो, तो वृक्ष नहीं रहेंगे, फूल नही होंगे, बच्चा पैदा होता है, तो बच्चे के लंग्स व हार्ड में कनेक्शन प्रकाश की

सूर्य उपासना है क्या ?

पहली किरण पड़ने पर होता है। सुबह उठने की बात प्रकाश से जुड़ने, सूर्य उपासना के लिए कही गयी है, जहां प्रकाश व सूरज नहीं है वहां के लोग डिप्प्रेशन होने लगता है। जो देर देर तक उठते हैं, वे अधिक डिप्प्रेशन के शिकार होते हैं। भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित भी प्रकाश ही करता है। गायत्री से भी उसी तेज की उपासना करते हैं।

प्रकाश के अभाव के दुष्प्रभाव

प्रकाश के अभाव में शरीर के अणुओं पर अनेक प्रकार के दुःख पड़ते हैं। योग, ध्यान और प्राणायामो द्वारा प्रकाश की ही साधना हम करते हैं।

प्रकाश से जुड़ने की बहुत ही सरल विधियां हैं, प्राणायाम को ही लें जिसे कोई भी व्यक्ति आसानी से कर सकता है। प्राण की साधना अप्रत्यक्ष रूप से प्रकाश की ही साधना है, प्रकाश ही साक्षात ब्रह्म (ईश्वर) है, उसी के प्रकाश से प्रकृति उत्पÂ हुई है।

जब श्वास द्वारा शरीर में वायु को प्रेरित किया जाता है, तो वह प्राण प्रकाश रूप में ही बनकर हमें ऊर्जा देता है। आकाश, वायु, अग्नि, जल एवं पृथ्वी में भी प्रकाश के तत्व विद्यमान हैं, वे सभी मिलकर हमारे शरीर को शक्ति देकर जीवित रखते हैं।

प्राणायाम क्या है ?

हम बात प्राणायाम की करें, तो योग दर्शन का मंत्र  संदेश देता है-

तस्मिन् सति श्वासप्रश्वास योर्गतिर्विच्छेदः प्राणायामः।

अर्थात् आसन की सिद्धि होने पर श्वास-प्रश्वासों की गति को नियंत्रित करना ‘प्राणायाम’ है। तो प्राण के प्रकाश को ही धारण करता है। इस प्राणतत्व के संदर्भ में विज्ञान कहता है कि प्राण ही शरीर के कण-कण में व्याप्त है, जब शरीर में कर्मेंद्रियादि सो जाती हैं, तब भी यह प्राण नहीं सोता, न विश्राम करता है।

रात-दिन वह अनवरत रूप से कार्य करता रहता है, चलता ही रहता है, क्योंकि वह अंदर प्रकाश रूप में ऊर्जा देने लगता है और प्रकाश का कार्य है चरैवेति चरैवेति’

प्राणायाम के लाभ

श्वास लेने पर वाह्य वातावरण से जब वायु शरीर के अंदर फेफड़ों में पहुंचती है और बाहर छोड़ने पर जो वायु बाहर निकलती है, इसमें श्वास ही शरीर में नहीं आता, प्राण वायु या आक्सीजन ही नहीं आती, अपितु प्रकाश रूप में दिव्य ऊर्जा अंदर आती है, जो शरीर में जीवनी-शक्ति का कार्य करती है। प्रकाश की ऊर्जा होने के कारण ही प्राणायाम से इंद्रियों  में व मन में प्रखरता आती है, उसके दोष दूर होते हैं।

वास्तव में मानव के दोनों फेफड़े श्वांस के रूप में अप्रत्यक्ष रूप में प्रकाश को भीतर भरने वाले वे यंत्र हैं, जिनके प्रवेश से समस्त शरीर के अणु-अणु में प्रकाश ऊर्जा भरती है और अणु अणु तथा अंग-अवयवों की कालिमा-मलिनता कार्बन डाइआक्साइड के रूप में बाहर निकालती है।

इसप्रकार जिंदगी की थकान-निराशा-हताशा-तनाव आदि दूर करने के लिए प्राणायाम कारगर साबित होता है।

प्रकाश ऊर्जा है जीवन के लिए वरदान

इस ऊर्जा से ही जीवन के स्ट्रैस मिटते हैं, नकारात्मक हारमोंस कमजोर पड़ते तथा सकारात्मक हार्मोंस का स्त्राव  अत्यधिक मात्र में होने लगता है। इन हार्मोंस के स्त्रावित होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता तेजी से विकसित होती है।

असाध्य रोग दूर करने में मदद मिलती है। यही नहीं प्राणायाम के पूर्ण अभ्यास से व्यक्ति का जीवन प्रकाशमय हो उठता है तथा जीवन सकारात्मक विचार, चिंतन व उत्साह से भरता है और उसके वात, पित्त, कफ त्रिदोषों का शमन होता है। 

पाचन-तंत्र पूर्ण स्वस्थ होने लगते हैं, हृदय, फेफड़े, मस्तिष्क तथा शारीरिक सम्बन्धी समस्त रोग दूर होते हैं। शरीर में प्राणायाम के सहारे प्रकाश प्रवेश करने से मोटापा, मधुमेह, कोलेस्ट्राल, कब्ज, गैस, अम्लपित्त, श्वास रोग, एलर्जी, माइग्रेन, रक्तचाप, किडनी के रोग, पुरुष व स्त्रियों के समस्त साध्य-असाध्य रोग दूर होते हैं।

चेहरे पर झुर्रियां पड़ना, नेत्र ज्योति के विकार, स्मृति दौर्बल्य आदि दूर होते हैं तथा मुखमंडल पर ओज, तेज व शांति आती है।

मन स्थिर, शांत व प्रसन्न तथा उत्साहित होता हैं तथा यही प्रकाश उच्च स्तर पर प्रवेश करने पर चक्रों के शोधन, भेदन व जागरण प्रारम्भ होते हैं तथा आध्यात्मिक शक्ति प्राप्ति होती है। आइये हम सभी गुरु मार्गदर्शन में नित्य प्रकाश की साधना करें, जीवन को नव ऊर्जा से भरें।

Special spiritual meditation and yoga session will be conducted by Dr. Archika Didi

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