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धनतेरस 05 नवम्बर पर विशेष

धनतेरस 05 नवम्बर पर विशेष

Dhanteras

भारतवर्ष में सभी त्योहार बड़े ही उत्साह एवं उल्लास के साथ मनाये जाते हैं। इसी क्रम में धनतेरस का त्योहार पूरे भारत वर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है। धनतेरस शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘धन’ एवं ‘तेरास’। ‘धन’ का अर्थ सम्पत्ति और ‘तेरास’ का अर्थ तेरहवें धनतेरस हिन्दुओं के कलैण्डर माह कार्तिक में कृष्ण पक्ष के तेरहवें चाँद के दिन पर मनाया जाने वाला त्योहार है। इस त्योहार को दीवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है। धनतेरस पर लोग समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं। धनतेरस को ‘धनत्रियोदशी’ और धन्वंतरी त्रियोदशी’ भी कहते हैं।

एक पौराणिक कथा के अनुसार राजा हिमा के पुत्र के लिए यह भविष्यवाणी की गई थी कि वह अपने विवाह के चैहदवें दिन साँप के काटने से मर जाएगा। उसकी नई विवाहित पत्नी को इस भविष्यवाणी के बारे में पहले से ही जानकारी थी। इसलिए उसने अपने पति के शयन कक्ष के प्रवेश द्वार पर सोने और चाँदी की बहुमूल्य धातुओं के बने सिक्कों के साथ अपने सारे गहने बाहर रखे और द्वार के बाहर पूरे आंगन में दीप जलाकर रख दिये जिसकी रोशनी चारों तरफ फैल गई।

इसके बाद पत्नी ने अपने पति को नींद से दूर रखने के लिए उसे रात भर कहानियाँ सुनाईं और गाने भी गाये। ऐसा कहा जाता है कि ठीक समय पर मृत्यु के देवता यम जब एक साँप का रूप धारण करके राजकुमार को डसने के लिए आये। यमराज, राजकुमार के कक्ष के प्रवेश द्वार पर झिलमिलाते दीपकों की रोशनी के सौंदर्य को देखकर आश्चर्यचकित हो गए और वे गहने और सिक्कों के ढ़ेर पर चढ़ गए और उनकी पत्नी के मधुर गीतों को सुनने लगे। सुबह होते ही वे चुपचाप राजकुमार के जीवन को बख्श कर दूर चले गये। इस तरह युवा पत्नी ने अपने पति को मौत के मुँह से बचा लिया। इसलिए इस दिन को ‘यमदीपदान’ के नाम से भी जाना जाता है।

दूसरी प्राचीन कथा के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि देवताओं और राक्षसों के बीच जो समुद्री लड़ाई हुई, उस लड़ाई का कोई परिणाम नहीं निकला तो देवताओं और राक्षसों में यह समझौता हुआ कि समुद्र मंथन किया जाए, समुद्र से जो भी सामान निकलेगा, उसको आपस में बाँट लिया जाएगा। इस तरह से समुद्र मंथन के दौरान अनेक रत्न निकले और अन्त में भगवान धनवंतरि जो भगवान के चिकित्सक और विष्णु के अवतार थे, अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। वास्तविकता यह थी कि उन्होंने अमृत के लिए समुद्र को मंथन किया था। धनतेरस के दिन क्षीर सागर से अमृत निकला था, इसलिए लोग स्वास्थ्य की दृष्टि से इस दिन को शुभ मानते हैं और भगवान से सेहतमन्द जीवन जीने के लिए प्रार्थना करते हैं।

धार्मिक व पौराणिक मान्यता के साथ सागर मंथन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश के साथ अवतरित हुए थे। उनके कलश लेकर प्रकट होने की घटना के प्रतीक स्वरूप ही बर्तन खरीदने की परम्परा का प्रचलन हुआ। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन चल या अचल सम्पत्ति खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। इसलिए लोग धनतेरस पर सोने या चाँदी से बने नए बर्तन या सिक्के खरीदते हैं। ऐसा करना शुभ माना जाता है और इससे परिवार में सुख समृद्धि आती है।

एक अन्य कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी भी निकली थी। इसलिए माता लक्ष्मी की इस दिन पूजा की जाती है। इसके अलावा यह भी सुना जाता है कि इस दिन माता पार्वती ने शिव जी के साथ पासा खेला था तथा वे पासे में जीत गई थी, इसलिए इस दिन पासा खेलना शुभ माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि पासा खेलने से घर में लक्ष्मी आती है।

इस अवसर पर फैक्टरियों के मालिक अपनी कम्पनी को सजाते हैं। परम्परागत तौर पर सभी अपने घर-आँगन के प्रवेश द्वार को सजाने के लिए रंगीन रंगोलिया बनाकर सजावट करते हैं। चावल के आटे और सिंदूर से लक्ष्मी जी के छोटे पैरों के निशान बनाये जाते हैं, जोकि देवी लक्ष्मी के लम्बे समय से प्रतीक्षित आगमन का संकेत होता है। धनतेरस के दिन शाम को ‘लक्ष्मी जी की पूजा’ की जाती है। हर प्रकार के कष्टों एवं दुःखों छुटकारा पाने के लिए घर के बाहर रात भर छोटे-छोटे दीपक जलाते जाते हैं।

भारत एक कृषि प्रधान देश है, इसलिए यहाँ की ग्रामीण आबादी खेती एवं पशु धन पर आधारित है। धनतेरस के दिन ग्रामीण लोग धनिये के बीज भी खरीदते हैं तथा दीवाली के बाद इन बीजों को वे अपने खेतों में बो देते हैं। धनतेरस के दिन देश के अनेक भागों में ग्रामीण इलाकों में किसान अपने मवेशियों को सजाते हैं और पूजा करते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि पशुओं को वे अपनी आजीविका चलाने का सबसे महत्वपूर्ण साधन मानते हैं। वे किसानों और मजदूरों की आय के मुख्य स्रोत होते हैं। भारतवर्ष के अधिकतर लोग गायों को देवी लक्ष्मी के अवतार के रूप में मानते हैं और गौमाता की पूजा करते हैं। हिन्दू धर्म के मानने वाले लोग गाय का विशेष सम्मान और आदर करते हैं। इस दिन गणेश जी, माता लक्ष्मी, धन्वन्तरि, कुबेर की पूजा की जाती है। कई स्थानों पर यम की भी पूजा की जाती है।

धनतेरस त्योहार के अवसर पर डाॅ. अर्चिका फाउण्डेशन की ओर से सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ।