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ध्यान नींद जैसी सहज घटना है

ध्यान नींद जैसी सहज घटना है

ध्यान नींद जैसी सहज घटना है

ध्यान जीवन जीने की कला है, ज्ञान से जुड़ने, व्यवहार को मधुर, संवेदनशील बनाने का माध्यम है तथा जीवन में पड़े ‘मैं’ के आवरण को हटाने का विशेष माध्यम है

ध्यान जीवन जीने की कला है, ज्ञान से जुड़ने, व्यवहार को मधुर, संवेदनशील बनाने का माध्यम है। जब आप ध्यान की गहराई में जाते हैं, तो आपको ‘स्वयं’ का बिल्कुल होश नहीं रहता। आप अपने आपको भुला देते हैं, संसार को भुला देते हैं। मन एकदम खो जाता है। इसलिए जब आप ध्यान में बैठें, तो सबसे पहले एक आसन पर बिल्कुल सधी हुई स्थिति में बैठने का प्रयास करते हुए मन को स्थिर करने की कोशिश करें। दूसरी कोशिश, अपने मस्तिष्क में विचार-शून्यता लाने का प्रयास कीजिए।

मस्तिष्क से विचारों को हटाने के लिए कोई अलग से मेहनत, कसरत या ताकत लगाने की जरूरत नहीं है। आप मस्तिष्क में चलने वाले सभी विचारों से अलग हटकर एक दिव्य भाव पर आ जाएं। वह भाव पवित्रता, शांति या आनन्द का भाव हो तो उत्तम है।
शांति के भाव में आप इस तरह आइए कि ‘मैं शांत हो रहा हूँ, शांत, शांत, शांत, शांत।’ इस प्रकार अपने को ढीला करते जाओ। मस्तिष्क में शांति की लहरें उतर रही हैं, मैं शांत होता जा रहा हूँ। पूरी दुनिया में शांति छाई हुई है। परमेश्वर की कृपाएं आसमान से जमीन तक बरस रही हैं।

शांति-शांति कहते हुए शांत हो जाइए

चंद्रमा की चांदनी शांति बनकर संसार में उतर रही है। मेरा रोम-रोम शांत हो रहा है, शांत, शांत, शांत, शांत और ऐसे शांत कहते कहते, शांति की लोरी गाते-गाते मन को एक जगह टिकाकर पलकों को इतनी कोमलता से बंद करें जैसे फूलों की पंखुड़िया बंद हो रही हैं। इस प्रकार जैसे-जैसे शांत होते जायेंगे, आपके अंदर असीम शांति और गहन मौन का वातावरण बन जाएगा। उस शांति और मौन में उतरते-उतरते परमात्मा की कृपाएं और उसका रस भी बरसना शुरू हो जायेगा। बीच बीच में इधर-उधर मन जाए तो फिर शांति-शांति कहते हुए शांत हो जाइए। इस प्रकार बार-बार ऐसा प्रयोग करने से ध्यान में परिपक्वता आने लगेगी।

किसी किसी व्यक्ति के मन पर दुनिया के अनेक आघात होते हैं। इसलिए जब भी वह आंख बंद करके बैठता है, तो मन पर लगे हुए आघात उसके सामने उतरने लग जाते हैं। ऐसे व्यक्ति के लिए ध्यान में उतरने हेतु अलग-अलग टेकनीक अपनाई जा सकती हैं। जैसे मन को स्वतंत्र छोड़ कर केवल उसकी गति को देखना, मन को किसी दिव्य वातावरण से गुजारना आदि-आदि। इस विधि से भी ध्यान करने में मदद मिलती है।

ध्यान  सरल  घटना है जो अपने आप घटती है

ध्यान नींद जैसी एक सरल एवं स्वाभाविक घटना है जो अपने आप घटती है। जिस प्रकार नींद कैसे ली जाती है, यह किसी को सिखाया नहीं जाता है। नींद के लिए बस आराम से बिस्तर पर शिथिल हो कर लेटना पड़ता है और मस्तिष्क को खाली करना पड़ता हैं। ठीक इसी प्रकार बार-बार ऐसा प्रयोग करने से ध्यान में परिपक्वता आने लगेगी।

जब तक मस्तिष्क में कोई भी बात सोचेंगे, नींद नहीं आएगी। जैेसे ही सोचना बंद होगा, नींद आ जाएगी। नींद एक घटना की तरह घटती है_ जैसे एकाएक आंख के ऊपर जादू कर दिया गया हो। व्यक्ति के मस्तिष्क में धुंआ सा छा जाता है। इसलिए कभी नींद का ठीक समय नोट नहीं कर सकते। नींद की तरफ से ध्यान हटा लेना ही नींद का आगमन है, उसी प्रकार शांत होते जाना और विचार शून्य होते जाना, मन का दबाव हटाते जाना ही ध्यान लगना है।

खास कमाल की बात यह है कि जब आप ध्यान में अपने विचारों को, अपने ‘मैं’ को बीच से हटा लेंगे, तो प्रकृति स्वयं आपका हाथ थामकर, सत्य और ज्ञान का मार्ग प्रशस्त करने में सहयोग करने लग जाएगी। ध्यान वास्तव में जीवन में पड़े ‘मैं’ के आवरण को हटाने का विशेष माध्यम है। इसीलिए जीवन में ध्यान की विशेष महत्ता है। आइये! ध्यान से जुड़े जीवन को ज्ञानवान बनायें।

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